प्राइम टाइम : देश की बड़ी आबादी के समय की चिंता क्यों नहीं?
भारतीय रेल की देर से चलने की बीमारी किस हद तक पहुंच गई इसका एक किस्सा बताता हूं. देरी से चलने की आदत ऐसी हो गई है कि एक सांसद जी अपने क्षेत्र में रेलगाड़ी के स्टॉपेज का स्वागत करने पहुंच गए. अपने समय से पहुंचे लेकिन ट्रेन उनके चले जाने के कई घंटे बाद तक नहीं आई. आम तौर पर अपने इलाके के स्टेशन पर गाड़ी रुकवाने के लिए सांसद लोग महीनों चिट्ठी पत्री करते हैं. रेल मंत्री से मिलते हैं. जब यह मौका आता है तो उनके लिए भी सबको दिखाने का मौका मिलता है.
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