इंसान का मैला ढोने का काम आज भी जारी

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद देश में मैला ढोने की प्रथा 2013 में इससे जुड़ा क़ानून पास होने के बाद ही ख़त्म हो जानी चाहिए थी. इस क़ानून के बाद किसी से अपना मैला ढुलवाना अपराध घोषित हो गया. लेकिन सच्चाई देखनी है तो बहुत दूर जाने की ज़रूरत नहीं है. लखनऊ से सिर्फ़ 25 किलोमीटर दूर बाराबंकी ही चले जाइए. यहां के बांकी मोहल्ले में अब भी मैला ढोने का सिलसिला जारी है.

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