पैरालिंपियन दीपा मलिक की व्हीलिंग हैप्पीनेस इनिशिएटिव विकलांग लोगों की मदद कैसे कर रही है?

फेसबुक लाइव सत्र के दौरान एनडीटीवी बनेगा स्वस्थ इंडिया टीम से बात करते हुए, पैरालिंपियन दीपा मलिक ने कहा कि उन्हें बहुत कम उम्र में अपने बच्चे की विकलांगता के साथ अपनी विकलांगता से जूझना पड़ा. उन्होंने कहा कि विकलांगता से संबंधित परेशानियां उनके लिए बहुत लंबे समय तक जारी रहीं और उन्होंने महसूस किया कि इतने सालों की परेशानी के बाद भी वास्तव में विकलांगता के साथ कुछ भी नहीं बदला है. "भारत ने भले ही तरक्की कर ली हो, हमारे पास कंप्यूटर और तकनीक हो, लेकिन जब विकलांगता से जुड़े विचारों की बात आती है, तो वास्तव में कुछ भी नहीं बदला. विचार अभी भी नकारात्मक हैं, इंफ्रास्ट्रक्चर अभी भी डिसेबल फ्रेंडली नहीं है, अवसर उतने नहीं हैं. विकलांगता समावेश के दिल में नहीं है, तब हमने (मां और बेटी की जोड़ी ने) व्हीलिंग हैप्पीनेस बनाने का फैसला किया.'' यह बताते हुए कि उन्होंने इसका नाम यह क्यों रखा, उन्होंने कहा कि "हम चाहते हैं कि विकलांग लोग उनके लिए खुशी का एक स्रोत खोजें. हम चाहते हैं कि लोग सोचें कि व्हीलचेयर पर बैठने का मतलब दुख नहीं है, हम इसे व्हीलिंग खुशी में भी बदल सकते हैं."

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